आज सुबह जब मैं समाचार चैनलों को देख रहा था तो मुझे समझ नहीं आया कि
क्यों नितिन गडकरी जी के ब्यान पर बवाल मचा है| जब भी रामायण की चर्चा होती
है तो भगवान राम के साथ रावण की भी चर्चा होती है| क्या रावण ताकतवर नहीं
था? क्या रावण बुद्धिमान नहीं था? उसने अपनी बुद्धि का उपयोग गलत दिशा में
किया| राम और रावण की चर्चा हमेशा साथ -साथ होती है एक ने अपना विवेक का
उपयोग मानवता और धरती पर राम राज्य की स्थापना के लिए किया तो दूसरे
ने अपनी बुद्धि का उपयोग धरती पर आतंक के लिए किया| जब कभी भी महाभारत की
चर्चा होती है तो पांडवों के साथ कौरवों की भी चर्चा होती है| क्या कौरव
ताकतवर नहीं थे? क्या कौरव बुद्धिमान नहीं थे? कौरवों की सेना में जो लोग
थे वो बुद्धिमान थे परन्तु पांडवों ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल धर्म की
खातिर किया और कौरवों ने अधर्म की खातिर| इसका अर्थ है कि अपनी बुद्धि का
इस्तेमाल सकारात्मक और नकारात्मक करना अपने हाँथ में होता है|
नितिन गडकरी जी ने भी यही कहा कि विवेकानंद जी ने अपनी बुद्धि का उपयोग
राष्ट्राहित में किया और दाउद इब्राहीम ने अपनी बुद्धि का उपयोग
राष्ट्रद्रोह में किया।
वो IQ की बात कर रहे थे, अब ये IQ का मामला है
कि लोग उनके इस ब्यान को किस तरह लेते हैं, परन्तु एक बात समझ आती है कि
मीडिया के भाई लोग राई को पर्वत और पर्वत को राई बना सकते हैं ।
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