Tuesday, March 30

भगत सिंह का अंतिम पत्र



22 मार्च,1931


साथियो,
स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए, मैं इसे छिपाना नहीं चाहता. लेकिन मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूँ, कि मैं क़ैद होकर या पाबंद होकर जीना नहीं चाहता.

मेरा नाम हिंदुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है और क्रांतिकारी दल के आदर्शों और कुर्बानियों ने मुझे बहुत ऊँचा उठा दिया है - इतना ऊँचा कि जीवित रहने की स्थिति में इससे ऊँचा मैं हर्गिज़ नहीं हो सकता.

आज मेरी कमज़ोरियाँ जनता के सामने नहीं हैं. अगर मैं फाँसी से बच गया तो वो ज़ाहिर हो जाएँगी और क्रांति का प्रतीक-चिन्ह मद्धिम पड़ जाएगा या संभवतः मिट ही जाए. लेकिन दिलेराना ढंग से हँसते-हँसते मेरे फाँसी चढ़ने की सूरत में हिंदुस्तानी माताएँ अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरज़ू किया करेंगी और देश की आज़ादी के लिए कुर्बानी देनेवालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना साम्राज्यवाद या तमाम शैतानी शक्तियों के बूते की बात नहीं रहेगी.

हाँ, एक विचार आज भी मेरे मन में आता है कि देश और मानवता के लिए जो कुछ करने की हसरतें मेरे दिल में थी, उनका हजारवाँ भाग भी पूरा नहीं कर सका. अगर स्वतंत्र, ज़िंदा रह सकता तब शायद इन्हें पूरा करने का अवसर मिलता और मैं अपनी हसरतें पूरी कर सकता.

इसके सिवाय मेरे मन में कभी कोई लालच फाँसी से बचे रहने का नहीं आया. मुझसे अधिक सौभाग्यशाली कौन होगा? आजकल मुझे ख़ुद पर बहुत गर्व है. अब तो बड़ी बेताबी से अंतिम परीक्षा का इंतज़ार है. कामना है कि यह और नज़दीक हो जाए.

आपका साथी,
भगत सिंह


Monday, March 22

पा ले उसे

सोंच एक डोर है और मन एक पतंग , एक मजूबत डोर से हीं पतंग को अपने वस में रख कर एक लम्बी उड़ान दी जा सकती है . हे पथिक इस मजबूत सोंच से उस मन रूपी पतंग को उड़ान दे और पा ले उसे, जो गगन में तेरा इंतजार कर रहा है.
--- भारतेंदु

Sunday, March 21

पुण्य पंथ पे बढ़े चलो

भीड़ से मत डरो
कर्म को करे चलो
लक्ष्य को ठान लो
पुण्य पंथ पे बढ़े चलो।

मानवता का भला करो
धरती को हरा-भरा करो
गगन में लगन से उड़े चलो
पुण्य पंथ पे बढ़े चलो।

हिमालय सा साहस भरो
गंगा-यमुना सा धारा बनो
चांद सा शीतल बनो
सूरज सा दमको तुम
पुण्य पंथ पे बढ़े चलो।


-भारतेन्दु

Sunday, March 7

नई समस्या का आगाज" महिला आरक्षण बिल"

महिला आरक्षण बिल का पास होना देश के लिए बिडम्बना है. एक बिडम्बना जो खुद से जान बूझ कर तैयार की गई है. अबतक हमारा देश जाती , धर्म और समाज के नाम पर वर्गित था, और इसकी आग से बचने का समाधान निकलने के बजाये , एक और वर्ग में देश को बाँट कर देश के लिया समस्या पैदा करने का काम किया गया है इस बिल को लाकर भ्रम पैदा करने की कोशिस की जा रही है की इससे महिला सशक्तिकरण को बल मिलेगा, परन्तु यह एक मजबूत तरीका है महिलाओं को कमजोर करने का.