भीड़ से मत डरो
कर्म को करे चलो
लक्ष्य को ठान लो
पुण्य पंथ पे बढ़े चलो।
मानवता का भला करो
धरती को हरा-भरा करो
गगन में लगन से उड़े चलो
पुण्य पंथ पे बढ़े चलो।
हिमालय सा साहस भरो
गंगा-यमुना सा धारा बनो
चांद सा शीतल बनो
सूरज सा दमको तुम
पुण्य पंथ पे बढ़े चलो।
-भारतेन्दु
1 comment:
आभार!
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
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