Friday, August 24

भैया मोरे मैं नहीं कोयला खायो

आज का मन "मोहन" भी बड़ा नटखट है, जो माखन और मिश्री नहीं खाता,कोयला खाता है| माखन चुराने वाला मनमोहन जब माखन चुरा कर खाता तो सभी के पेट भर जाते थे परन्तु ये मन "मोहन" कुछ सहयोगी चोरों का पेट भरकर पूरे देश को भूखा रखना चाहता है| सीएजी की रिपोर्ट को मानें तो 1993 तक देश में कोयला ब्लॉकों के आवंटन पर विशेष नीति नहीं थी। 1993 के बाद प्राइवेट लोगों को ब्लॉक सीधे आवंटित करने की शुरुआत की गई। 2004 से 2011 तक 194 कोयला ब्लॉक आवंटित किए जा चुके हैं। 2006 में माइंस एंड मिनरल्स एक्ट 1957 में संशोधन का बिल संसद में लाया गया और माना गया कि जब तक दोनों सदन इसे मंजूरी नहीं दे देते और यह बिल पास नहीं हो जाता, तब तक कोई भी कोयला खदान आबंटित नहीं किया जायेगा, लेकिन यह बिधेयक 4 साल तक लोकसभा में लम्बित रहा और 2010 में ही यह कानून में तबदील हो गया,परन्तु संसद में किये वादे से सरकार मुकर गई और कोयला खदान बाँटने का गोरखधंधा चलता रहा | कैग की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को कौड़ियों के भाव कोयला खानों का आवंटन कर दिया, जिससे सरकारी खजाने को 1 .86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। पेश रिपोर्ट के मुताबिक, कोयला ब्लॉकों को बोली की जगह नॉमिनेशन के आधार पर आवंटित किया गया। बोली की नीति लागू करने में देरी से प्राइवेट कंपनियों को फायदा हुआ। फायदा पाने वाली जिन 25 प्राइवेट कंपनियों के नाम गिनाए गए हैं, उनमें एस्सार पावर, हिन्डाल्को इंडस्ट्रीज, टाटा स्टील, टाटा पावर और जिंदल स्टील ऐंड पावर के नाम हैं। 2004 से 2011 तक 194 कोयला ब्लॉक आवंटित किए जा चुके हैं| 2004 में ही तय किया गया था कि कोयला ब्लॉक आवंटन में बोली लगेगी, लेकिन सरकार अभी तक इसकी प्रक्रिया नहीं तय कर पाई है। जिस समय के आवंटन को लेकर कैग ने ये तल्ख टिप्पणियां की हैं, उस दौरान कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास था और राज्य स्तर के मंत्री दसरी नारायण राव और संतोष बगरोदिया उनके सहयोगी थे। उस समय के कोयला सेक्रेटरी पी. सी. पारेख ने स्वीकार किया कि कुछ खास कंपनियों को खदान आवंटित करने के लिए उन पर 'दबाव' था। पारेख ने 2004 में कोयला राज्य मंत्री राव को एक नोट पेश किया था, जिसमें पारदर्शिता के नियमों का पालन करते हुए ब्लॉक के आवंटन में प्रतिस्पर्धी बोलियों की व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव किया गया था। कितनी बिडम्बना है कोयला चोर की चोरी पकड़े जाने के बाद भी सीनाजोरी करते नजर आ रहा है और सभी सहयोगी चोर उसके साथ नजर आ रहे हैं| जनता हीं इन्हें हथकड़ी लगा पायेगी|


Friday, August 17

माना कि खबर अफवाह है, पर दहशत से इंकार नहीं

आज देश में असम में पिछले दिनों फूटी जातीय हिंसा के कारण जो परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं वो दुर्भाग्यपूर्ण भविष्य के लिए आशंकित कर रही है, असम की हिंसा और म्यांमार में मुस्लिमों पर जारी हमलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान मुंबई में भड़की हिंसा में पाकिस्तानी झंडे दिखाया जाना, भड़काउ टिप्पणियां और शहीदों के स्मारक को तोड़ना भविष्य को आइना दिखाने के सामान है| आज कहाँ है वो लोग जिन्हें दूसरे देश के लोगों की चिंता है और उनके लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं| आज उनके अपने ही देश में अपनों के बीच ही भय और आतंक का माहौल बना है| जहाँ बंगलौर में रह रहे उत्तर-पूर्वी राज्यों के हजारों लोग इस डर से शहर छोड़ कर भाग गए हैं कि कहीं उन पर हमला न हो जाए, वहीं हैदराबाद में असम और अन्य पूर्वोत्तर के राज्यों से आए लोगों के बीच भय व्याप्त है| मुंबई तथा पुणे में उत्तर-पूर्व राज्यों के छात्र विभिन्न स्कूलों और कालेजों में पढ़ते हैं- ज्यादातर अपने घरों को लौट रहे हैं| पिछले दो-तीन दिनों में मुझे अपने दोस्तों से मिलने का मौका मिला है तो मुझे ऐसा लगा कि उन लोगों के बीच भी देश में फैली अराजकता और कुव्यवस्था के प्रति घोर आक्रोश है| इन सभी घटनाओ के वाबजूद सत्तारूढ़ पार्टी अपने वोट बैंक पोलिटिक्स के कारण कोई भी ठोस कदम उठाने में असक्षम है, जो भारत की एकता और अखंडता को बनाये रखने के लिया अवश्यक हो, जिससे लोग भय से मुक्त हों| अब इस देश की राष्ट्र भक्त जनता और सामाजिक संगठनों को ही इन परिस्तिथियों में देश हित में आवाज उठानी होगी| आज जब मैं न्यूज़ देखा रहा था तो पता चला कि आर.एस.एस के लोग मुंबई-पुणे से जा रहे लोगों की सहायता हेतु स्टेशन पर मौजूद थे| आज देश को ऐसे लोगों की जरुरत है और इन्हीं लोगों की वजह से भारत हमारी माँ, "भारत माँ" सुरक्षित है , ऐसे राष्ट्रभक्त लोगों को सत-सत नमन|