“My motto is not to change the face of country. Country will be changed by people’s unity. My Motto is to change the mindset of people.”
Friday, August 17
माना कि खबर अफवाह है, पर दहशत से इंकार नहीं
आज देश में असम में पिछले दिनों फूटी जातीय हिंसा के कारण जो परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं वो दुर्भाग्यपूर्ण भविष्य के लिए आशंकित कर रही है, असम की हिंसा और म्यांमार में मुस्लिमों पर जारी हमलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान मुंबई में भड़की हिंसा में पाकिस्तानी झंडे दिखाया जाना, भड़काउ टिप्पणियां और शहीदों के स्मारक को तोड़ना भविष्य को आइना दिखाने के सामान है| आज कहाँ है वो लोग जिन्हें दूसरे देश के लोगों की चिंता है और उनके लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं| आज उनके अपने ही देश में अपनों के बीच ही भय और आतंक का माहौल बना है| जहाँ बंगलौर में रह रहे उत्तर-पूर्वी राज्यों के हजारों लोग इस डर से शहर छोड़ कर भाग गए हैं कि कहीं उन पर हमला न हो जाए, वहीं हैदराबाद में असम और अन्य पूर्वोत्तर के राज्यों से आए लोगों के बीच भय व्याप्त है| मुंबई तथा पुणे में उत्तर-पूर्व राज्यों के छात्र विभिन्न स्कूलों और कालेजों में पढ़ते हैं- ज्यादातर अपने घरों को लौट रहे हैं| पिछले दो-तीन दिनों में मुझे अपने दोस्तों से मिलने का मौका मिला है तो मुझे ऐसा लगा कि उन लोगों के बीच भी देश में फैली अराजकता और कुव्यवस्था के प्रति घोर आक्रोश है| इन सभी घटनाओ के वाबजूद सत्तारूढ़ पार्टी अपने वोट बैंक पोलिटिक्स के कारण कोई भी ठोस कदम उठाने में असक्षम है, जो भारत की एकता और अखंडता को बनाये रखने के लिया अवश्यक हो, जिससे लोग भय से मुक्त हों| अब इस देश की राष्ट्र भक्त जनता और सामाजिक संगठनों को ही इन परिस्तिथियों में देश हित में आवाज उठानी होगी| आज जब मैं न्यूज़ देखा रहा था तो पता चला कि आर.एस.एस के लोग मुंबई-पुणे से जा रहे लोगों की सहायता हेतु स्टेशन पर मौजूद थे| आज देश को ऐसे लोगों की जरुरत है और इन्हीं लोगों की वजह से भारत हमारी माँ, "भारत माँ" सुरक्षित है , ऐसे राष्ट्रभक्त लोगों को सत-सत नमन|
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