Thursday, September 19

देश की आश है नरेन्द्र मोदी

जिस तरह अकाल की स्थिति में लोग आसमान की तरफ नज़रें टिकाये रहते है। भगवान से मिन्नतें करते है, उस समय बारिश की एक बूंद भी अमृत के सामान होती है। आज देश में कुछ इसी तरह की परिस्थिति उत्पन्न हुई है। देश एक बहुत बड़े राजनैतिक अकाल से जूझ रहा है। यूपीए सरकार अपना  दस साल पूरा  करने वाली है। इन नौ सालो में भ्रष्टाचार,महंगाई ,बिगड़ती अर्थव्यवस्था, देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा सभी मुद्दों पर मनमोहन सरकार की विफलता ने देश के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। पहली बार किसी घोटाले में प्रधानमंत्री कार्यालय पर शक की सुई जा टिकी है। जब देश का राजा हीं शक के घेरे में हो तो प्रजा निराश  तो रहेगी हीं। जिस देश में कमजोर नेतृत्व और  जनता निराश हो, उस देश के भविष्य की  कल्पना हीं भयावह होगी । राजनैतिक अकाल में प्रजा को एक ऐसे नेतृतव की आवश्यकता है  जो देश को इन सभी संकटों से उबार कर एक नई सोच और एक नई  ऊर्जा का संचार कर सके । अब देश में उत्पन राजनैतिक अकाल की स्थिति वैसी नहीं है जैसी बारिश से उत्पन अकाल की स्थिति होती है, लोगो को मिन्नतें करने की जरूरत नहीं है क्यों कि उन्हें अपना नेता नरेंद्र मोदी के रूप में  मिल चुका है । नरेन्द्र मोदी जी  एक अंधेर नगरी में आशा के किरण के सामान है जिसमे देश अपना सुनहरा  भविष्य देख रहा है। जहाँ भी जाये बस में, ऑटो में, ट्रेन में, गाँव में या शहर में सब की  जुबान पर  बस एक मंत्र है "नमो - नमो"। मेरी मुलाकात अपने दो मित्रों से हुई, दोनों आपस में बात कर रहे थे, एक ने बोल की तुम कागज कलम उठाओ और बताओ की भजपा को किस प्रदेश में कितनी सीट आ रही है। दुसरे मित्र ने कहा की मोदी अब सभी गणना से ऊपर उठ चुके है, तभी पास में खड़ा एक सिपाही आया और कुछ ऐसे विनती करके बोला, भाईसाहब मोदी जी को प्रधानमंत्री बना दो, नहीं तो देश बर्बाद हो जायेगा। वो ऐसे बोल रहा था कि जैसे मेरा एक वोट हीं मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाएगा। इसतरह के कई सारे उदाहरण मेरे सामने आये। तब मुझे लगा की देश के लोग एक आशा भरी नजरों से मोदी जी को देख रहे हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कुछ मुट्ठी भर लोग उनका विरोध भी कर रहे है, विरोध करने का उनके पास कोई ठोस तथ्य नहीं, बस किसी एक समूह विशेष के  लोगों को भ्रमित कर वोट बैंक की राजनीति करना हीं उनका मुख्य उदेश्य है और दूसरा पक्ष ये है कि कुछ विरोध करने वालों की राजनीति हीं मोदी जी के विरोध पर ही  चल रही है। खैर लोकतंत्र में विरोध होना लोकतंत्र की सुन्दरता है।  मुझे आशा हीं  नहीं बल्कि  पूर्ण विश्वास है देश की जनता की आश पर कोई आंच नहीं आयेगी|