Sunday, March 21

पुण्य पंथ पे बढ़े चलो

भीड़ से मत डरो
कर्म को करे चलो
लक्ष्य को ठान लो
पुण्य पंथ पे बढ़े चलो।

मानवता का भला करो
धरती को हरा-भरा करो
गगन में लगन से उड़े चलो
पुण्य पंथ पे बढ़े चलो।

हिमालय सा साहस भरो
गंगा-यमुना सा धारा बनो
चांद सा शीतल बनो
सूरज सा दमको तुम
पुण्य पंथ पे बढ़े चलो।


-भारतेन्दु

1 comment:

Udan Tashtari said...

आभार!

हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

अनेक शुभकामनाएँ.